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ashwagandha ghan vati ke fayde

Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language. अश्वगंधा को गुणों के आधार पर ही चमत्कारी औषधि माना गया है | आइये जानते है किन-किन रोगों के उपचार में अश्वगंधा के प्रयोग से फायदा मिलता है/Ashwagandha Ke Fayde : आप सोच रहे होंगे कि जो औषधि शरीर -मष्तिष्क और ह्रदय के लिए फायदा करने वाली है उससे भला क्या नुकसान हो सकते है | अतिरिक्त मात्रा में किसी भी औषधि का सेवन हानिकारक हो सकता है | अश्वगंधा औषधि भी अधिक मात्रा में लेने से यह आपको नुकसान पहुंचा सकती है |  अश्वगंधा औषधि के नुकसान : अश्वगंधा औषधि/(Ashwagandha Ke Fayde)बड़ी ही गुणकारी औषधि है | आप उपरोक्त रोगों के उपचार में इस औषधि के सेवन के लिए अपने वैद्य से परामर्श कर सकते है | इस औषधि का सेवन चिकित्सक की देख-रेख में करना सुरक्षित और लाभकारी है | स्वयं से व पोस्ट में दी गयी जानकारी के आधार इस औषधि का सेवन भूलकर भी न करें |, वायरल फीवर और सामान्य बुखार क्या है ? This article details the dosage, health and therapeutic uses of this wondrous herb, besides enlisting Ashwagandha side effects. पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण के फायदे – Patanjali Ashwagandha Benefits in Hindi. हां, तो अश्वगंधा के पत्ते के फायदे क्या हैं? StyleCraze provides content of general nature that is designed for informational purposes only. Efficacy and Safety of Ashwagandha (Withania somnifera (L.) Dunal) Root Extract in Improving Memory and Cognitive Functions https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/28471731/ Aqueous Leaf Extract of Withania somnifera as a Potential Neuroprotective Agent in Sleep-deprived Rats: a Mechanistic Study https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/27037574/ Examining the effect of Withania somnifera … आयुर्वेद में अश्वगंधा एक बहुत ही प्रचलित औषधि है | इस औषधि में अनेकों गुण होने के कारण इस औषधि का प्रयोग आज के समय वैद्य द्वारा काफी मात्रा में किया जाने लगा है | अश्वगंधा एक पेड़ है इस पेड़ के पत्तों और जड़ में अश्व के पेशाब और अस्तबल जैसी महक आती है इस कारण से ही इस औषधि का नाम अश्वगंधा रखा गया है | तासीर के आधार पर अश्वगंधा बहुत गरम होती है | मुख्य रूप से अश्वगंधा का प्रयोग शारीरिक कमजोरी दूर करने में, गठिया रोग में , शरीर को बल देने में और उत्तेजना बढ़ाने व सेक्स कमजोरी दूर करने में किया जाता है | वैसे देखा जाए तो अश्वगंधा/Ashwagandha Ke Fayde बड़ी ही चमत्कारी औषधि है, इसका प्रयोग अनगिनत रोगों के उपचार में किया जाता है |, अश्वगंधा को भिन्न-भिन्न भाषाओँ में अलग-अलग नाम से जाना गया है : जैसे संस्कृत में इसे वरदा , बलदा , कुष्ठगंधिनी व अश्वगंधा के नाम से जाना जाता है | English में इसे winter cherry कहते है | हिंदी में भी इसके कई नाम है जैसे : असगंध , नागोरी असगन्ध व अश्वगंधा |, अश्वगंधा का प्रयोग मुख्य रूप चूर्ण के रूप में  या फिर सिरप के रूप में किया जाता है | बाजार में अश्वगंधा चूर्ण के रूप में उपलब्ध है और सिरप के रूप में यह अश्वगंधारिष्ट के रूप में आता है |. अश्वगंधा का उपयोग सदियों से विश्वभर में उसके अनगिनत लाभ के कारण हो रहा है। वैज्ञानिक भी अश्वगंधा को गुणकारी औषधि मानते हैं। कहा जाता है कि अश्वगंधा व्यक्ति को स्वस्थ रखने में अहम योगदान निभा सकता है। इसी वजह से गुणों से भरपूर अश्वगंधा के फायदे के बारे में हम स्टाइलक्रेज के इस लेख में विस्तार से बता रहे हैं। बेशक, अश्वगंधा एक औषधि है, लेकिन इसकी मात्रा पर ध्यान देना भी जरूरी है। इसका कितना सेवन किया जाना चाहिए, इससे जुड़ी जानकारी भी यहां दी गई है। साथ ही अधिक सेवन से होने वाले अश्वगंधा के नुकसान के बारे में भी हम बता रहे हैं।, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि अश्वगंधा क्या होता है। इसके बाद हम अश्वगंधा चूर्ण के फायदे के बारे में बताएंगे।, अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जाता रहा है। इस जड़ी-बूटी से अश्वगंधा चूर्ण, पाउडर और कैप्सूल बनाया जाता है। अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम विथानिया सोम्निफेरा (Withania somnifera) है। आम बोलचाल में इसे अश्वगंधा के साथ-साथ इंडियन जिनसेंग और इंडियन विंटर चेरी भी कहा जाता है। इसका पौधा 35-75 सेमी लंबा होता है। मुख्य रूप से इसकी खेती भारत के सूखे इलाकों में होती है, जैसे – मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान व गुजरात। इसे बहुतायत संख्या में चीन और नेपाल में भी उगाया जाता है। विश्वभर में इसकी 23 और भारत में दो प्रजातियां पाई जाती हैं (1)। आगे हम बताएंगे की अश्वगंधा चूर्ण से क्या होता है और अश्वगंधा के गुण क्या हैं।, चलिए, अब विस्तार से अश्वगंधा के गुण पर एक नजर डाल लेते हैं। इसके बाद अश्वगंधा के फायदे के बारे में बताएंगे।, अश्वगंधा को संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। अश्वगंधा के गुण में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी स्ट्रेस, एंटीबैक्टीरियल एजेंट और इम्यून सिस्टम को बेहतर करना व अच्छी नींद शामिल हैं। इसके सेवन से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है (2)।, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (एनसीबीआई) की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अश्वगंधा का उपयोग इम्यूनिटी को बढ़ाने, पुरुषों में यौन व प्रजनन क्षमता को बेहतर करने और तनाव को कम करने के लिए भी किया जा सकता है (3) (4)।, इसके अलावा, अश्वगंधा के औषधीय गुण में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव भी शामिल है, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने से रोक सकता है (5)। इसके कारण एजिंग व अन्य बीमारियां कम हो सकती हैं (6)। अब लेख के अगले हिस्से में पढ़ें अश्वगंधा से क्या क्या लाभ होता है।, अगले भाग में जानिए अश्वगंधा चूर्ण के फायदे क्या हैं। इसके बाद हम अश्वगंधा का सेवन कैसे करें और अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कैसे करें यह बताएंगे।, अश्वगंधा के गुण की वजह से इसके फायदे अनेक होते हैं। इसी वजह से हम आगे विस्तार से अश्वगंधा के फायदे बता रहे हैं। बस ध्यान दें कि अश्वगंधा व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है, लेकिन किसी गंभीर बीमारी होने पर इसपर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। बीमारी से ग्रस्त होने पर चिकित्सकीय परीक्षण और इलाज करवाना जरूरी है। चलिए, अब आपके सवाल अश्वगंधा खाने से क्या होता है, उसका जवाब जानते हैं।, अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करने से टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा को बढ़ाने में मदद कर सकता है। वर्ल्ड जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस के शोध में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि अश्वगंधा में हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कुछ मदद कर सकता है (7)।, एक अन्य शोध में कहा गया है कि अश्वगंधा टोटल कोलेस्ट्रॉल के साथ ही एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को भी कम करने में मदद कर सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि अश्वगंधा 30 दिन में अपना लिपिड लोवरिंग प्रभाव दिखा सकता है (8)।, नींद न आने की समस्या से जूझ रहे लोग डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन कर सकते हैं। यह हम नहीं बल्कि 2017 में जापान की त्सुकुबा यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए एक रिसर्च में कहा गया है। इस अध्ययन के अनुसार, अश्वगंंधा के पत्तों में ट्राएथिलीन ग्लाइकोल नामक यौगिक होता है, जो गहरी नींद में सोने में मदद कर सकता है। इस रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि अनिद्रा के शिकार लोगों के नींद की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए अश्वगंधा का सेवन किया जा सकता है (9)।, तनाव की समस्या कई बीमारियों का कारण बन सकती है। चूहों पर किए गए शोध के अनुसार, आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा में मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण तनाव कम करके इसके कारण होने वाली बीमारियों से बचा सकता है (10)।, अश्वगंधा में यह एंटी-स्ट्रेस प्रभाव सिटोइंडोसाइड्स (Sitoindosides) और एसाइलस्टरीग्लुकोसाइड्स (Acylsterylglucosides) नामक दो कंपाउंड की वजह से पाया जाता है (2)। ये अश्वगंधा के गुण तनाव से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं। अब अगर आपसे कोई पूछे की अश्वगंधा के क्या फायदे हैं, तो उन्हें तनाव मुक्ति के बारे में जरूर बताएं।, अश्वगंधा एक शक्तिवर्धक औषधि है, जो पुरुषों की यौन क्षमता को बेहतर कर वीर्य की गुणवत्ता में सुधार कर सकती है। 2010 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, अश्वगंधा का उपयोग करने से स्पर्म उत्तमता के साथ-साथ उसकी संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। यह शोध स्ट्रेस (ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, केमिकल स्ट्रेस व मानसिक तनाव) के कारण कम हुई प्रजनन क्षमता पर किया गया है (11)।, एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में कहा गया है कि अश्वगंधा में एंटी-ट्यूमर एजेंट होते हैं, जो ट्यूमर को पनपने से रोक सकते हैं। साथ ही अश्वगंधा बतौर कैंसर के इलाज के रूप में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने में मदद कर सकता है (12)।, ध्यान रखें कि अश्वगंधा को सीधे तौर पर कैंसर को ठीक करने के लिए नहीं, बल्कि कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है (13)। अगर किसी को कैंसर है, तो उसे डॉक्टर से इलाज जरूर करवाना चाहिए। साथ ही मरीज डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन कर सकता है।, आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा के जरिए डायबिटीज से भी बचा जा सकता है। इसमें मौजूद हाइपोग्लाइमिक प्रभाव, ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में सहायक हो सकता है। अश्वगंधा की जड़ और पत्तों को लेकर साल 2009 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मोल्यूकूलर साइंस ने डायबिटीज ग्रस्त चूहों पर एक अध्ययन किया। कुछ समय बाद चूहों पर इसका सकारात्मक परिवर्तन नजर आया। इसी वजह से कहा जा सकता है कि अश्वगंधा डायबिटीज से बचाव में उपयोगी हो सकता है (14)।, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर नहीं होगी, तो बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है। विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक, अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो सकता है (15)। इसमें मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव कर सकता है, जिससे रोगों से लड़ने में मदद मिल सकती है (2)। इसलिए, माना जाता है कि अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।, गले में मौजूद तितली के आकार की थायराइड ग्रंथि जरूरी हार्मोंस का निर्माण करती है। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है। इसके कारण कई अन्य तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इसी अवस्था को थायराइड कहते हैं (16) (17)।, थायराइड से ग्रस्त चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से अश्वगंधा की जड़ को दवा के रूप में देने से थायराइड की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है (18)। साथ ही हाइपोथायराइड (ऐसी स्थिति, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है) रोगियों पर हुए अध्ययन में भी अश्वगंधा को थायराइड के लिए लाभकारी माना गया है (19)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि थायराइड के दौरान डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है।, तेजी से लोग आंखों से जुड़ी बीमारियां का शिकार हो रहे हैं। मोतियाबिंद जैसी बीमारियों के मामले भी बढ़ने पर हैं (20) (21)। कई लोग मोतियाबिंद से अंंधे तक हो जाते हैं (22)। इसी संबंध में हैदराबाद के कुछ वैज्ञानिकों ने अश्वगंधा को लेकर शोध किया। उनके अनुसार, अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद से लड़ने में मदद कर सकते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि अश्वगंधा मोतियाबिंद के खिलाफ प्रभावशाली तरीके से काम कर सकता है। यह मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है (23)।, अर्थराइटिस ऐसी पीड़ादायक बीमारी है, जिसमें मरीज का चलना-फिरना और उठना-बैठना मुश्किल हो जाता है। इसी के मद्देनजर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चूहों पर 2014 में अश्वगंधा पर शोध किया गया। उस शोध में बताया गया है कि अश्वगंधा के औषधीय गुण एंटीइंफ्लेमेटरी की वजह से इसकी जड़ के रस से अर्थराइटिस के लक्षण कम हो सकते हैं। साथ ही अर्थराइटिस के दर्द से भी आराम मिल सकता है (24) (25)।, इसके अलावा, एनसीबीआई में मौजूद एक रिसर्च में कहा गया है कि अश्वगंधा और सिद्ध मकरध्वज का एक साथ सेवन करने से भी अर्थराइटिस की समस्या कम हो सकती है (26)। ध्यान दें कि अर्थराइटिस की गंभीर अवस्था में घरेलू नुस्खे के साथ-साथ डॉक्टरी इलाज भी जरूरी है।, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और बदलती दिनचर्या तेजी से मस्तिष्क की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में जानवरों पर किए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया कि अश्वगंधा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त पर सकारात्मक असर डाल सकता है (27) (28)। जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा लेने से नींद भी अच्छी आ सकती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और वह बेहतर तरीके से काम कर सकता है (29)।, हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशियोंं का मजबूत होना भी जरूरी है। मांसपेशियों के लिए अश्वगंधा का सेवन लाभकारी हो सकता है। इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होने के साथ ही दिमाग और मांसपेशियों के बीच बेहतर तालमेल बन सकता है। यही कारण है कि जिम जाने वाले और अखाड़े में अभ्यास करने वाले पहलवान भी अश्वगंधा के सप्लीमेंट्स लेते हैं (30)। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध करने की बात कही गई है। इतना ही नहीं, अश्वगंधा कमजोरी के लिए और पैरों की मांसपेशियों की ताकत में सुधार कर सकता है। अश्वगंधा को न्यूरोमस्कुलर समन्वय को बेहतर करने के लिए भी इस जाना जाता है (31)।, लेख में बताई गई तमाम खूबियों के अलावा अश्वगंधा संक्रमण से भी निपटने में मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह गुण रोग जनक बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकता है। अश्वगंधा की जड़ और पत्तों का रस साल्मोनेला (Salmonella) और ई.कॉली (Escherichia coli) नामक बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर सकता है। साल्मोनेला जीवाणु की वजह से आंत संबंधी समस्याएं और फूड पॉइजनिंग हो सकती है (32)।, एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, अश्वगंधा एस्परगिलोसिस (Aspergillosis) नामक संक्रमण के खिलाफ प्रभावी माना गया है। यह इंफेक्शन फेफड़ों में और यह अन्य अंगों में भी संक्रमण पैदा कर प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है (33) (34)। ऐसे में कहा जा सकता है कि संक्रमण से बचने के लिए अश्वगंधा का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।, अश्वगंधा में कार्डियोप्रोटेक्टिव प्रभाव होता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इस इफेक्ट का कारण अश्वगंधा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-एपोप्टोटिक गतिविधि को माना जाता है। इसके  अलावा, अश्वगंधा में मौजूद हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इस रिसर्च में कहा गया है कि इन गतिविधियों के अलावा एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-प्लेटलेट, एंटीहाइपरटेंसिव, हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव भी हृदय स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद कर सकते हैं (7)।, एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध में अश्वगंधा की जड़ के अर्क का सेवन करने से भूख और वजन में कमी पाई गई। शोध में बताया गया है कि अश्वगंधा की जड़ का अर्क तनाव के मनोवैज्ञानिक लक्षणों में सुधार कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम कर भोजन की तीव्र इच्छा में कमी लाकर वजन को कम करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, शोध में यह भी कहा गया है कि तनाव की वजह से बढ़ने वाले वजन को कम करने की अश्वगंधा की क्षमता को लेकर आगे और भी अध्ययन की जरूरत है (35)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि वजन कम करने के लिए अश्वगंधा के साथ-साथ संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी है।, अश्वगंधा पाउडर बेनिफिट्स में चिंता और अवसाद से बचाए रखना भी शामिल है। अश्वगंधा के बायोएक्टिव कंपाउंड्स में एंक्सियोलिटिक (Anxiolytic – एंग्जाइटी कम करने की दवा) और एंटी-डिप्रेसेंट जैसी क्रियाएं मिलती हैं। एक रिसर्च में कहा गया है कि 5 दिनों तक इसका सेवन करने से यह चिंता कम करने वाली दवा के जैसा प्रभाव दिखा सकता है। अश्वगंधा दिमाग के ट्राइबुलिन (मोनोमाइन ऑक्सिडेज इनहिबिटर) के स्तर को नियंत्रित कर सकता है, जो स्ट्रेस की वजह से बढ़ जाता है। इसी वजह से माना जाता है कि अश्वगंधा चिंता और अवसाद को कम करने में लाभदायक हो सकता है (36)।, जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा मस्तिष्क के विकार चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, हमने लेख में यह भी जिक्र किया है कि यह किस तरह से याददाश्त को बेहतर रखने में सहायक हो सकता है। इतना ही नहीं, मस्तिष्क के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा लाभकारी है।, एक रिसर्च में बताया गया है कि अश्वगंधा में स्मृति सुधार प्रभाव होने के साथ ही कॉग्निशन को बढ़ाने की क्षमता भी होती है। कॉग्निशन कुछ महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रियाओं का सामूहिक नाम है। सरल भाषा में कहा जाए, तो अश्वगंधा विचारों, अनुभवों और इंद्रियों (Senses) के माध्यम से समझने की क्षमता से संबंधित  मानसिक क्रिया व प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, अश्वगंधा में मौजूद विथनोलाइड्स कंपाउंड तंत्रिका विकास (Neurite outgrowth) में मदद कर सकता है (36)।, ऊपर लेख में हम बता चुके हैं कि अश्वगंधा में पर्याप्त मात्रा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं (1)। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि यह त्वचा में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकता है (37)। दरअसल, त्वचा में इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार सबसे आम बैक्टिरिया स्टैफिलोकोकस ऑरियस है, जिसके इंफेक्शन की वजह से चेहरे में सूजन हो सकती है (38)। इस इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया बेअसर कर त्वचा की सूजन को अश्वगंधा में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण कम कर सकता है (39)। त्वचा में जहां सूजन है, वहां अश्वगंधा पेस्ट को लगाया जा सकता है।, जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया है कि अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। इस लिहाज से यह त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर बढ़ती उम्र (एजिंग) के लक्षणों जैसे झुर्रियां व ढीली त्वचा को बचा सकता है (5) (6)।, अश्वगंधा में मौजूद यह गुण सूरज की पराबैंगनी किरणों के कारण होने वाले कैंसर से बचाने में भी मदद कर सकता है (40) (41)। त्वचा के लिए अश्वगंधा का फेसपैक बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। नीचे हम अश्वगंधा के प्रयोग से फेस पैक बनाने की विधि बता रहे हैं।, वैसे अश्वगंधा सीधे तौर पर घाव भरने में तो मदद नहीं कर सकता, लेकिन घाव में बैक्टीरिया को पनपने से रोक जरूर सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव घाव में पनपने वाले जीवाणुओं को खत्म करके इंफेक्शन के खतरे को रोक सकता हैं (42)। ऐसे में घाव गहरा नहीं होता और घाव ठीक होने के लिए लगने वाला समय कम हो सकता है (43)। घाव में इसका पेस्ट या फिर तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। ध्यान रखें कि गहरा घाव होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। महज अश्वगंधा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।, कोर्टिसोल (Cortisol) एक प्रकार का हार्मोन होता है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। यह शारीरिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हार्मोंस में से एक है (44)। जब रक्त में इस हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो शरीर में फैट और स्ट्रेस का स्तर भी बढ़ने लगता है। इससे शरीर को विभिन्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं। इसलिए, कोर्टिसोल के स्तर को कम करना जरूरी है।, एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक के रिपोर्ट के मुताबिक, अश्वगंधा के प्रयोग से कोर्टिसोल को कम किया जा सकता है (45)। इसके लिए प्रतिदिन 3g से 6g तक अश्वगंधा के सप्लीमेंट्स ले सकते हैं (46)। ध्यान रखें कि इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। डॉक्टर शरीर की जरूरत के हिसाब से इसकी सटीक मात्रा और कब तक सेवन किया जाना है, इस बारे में बताएंगे।, अश्वगंधा पाउडर बेनिफिट्स में बालों को स्वस्थ रखना और झड़ने से बचाना भी शामिल है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आनुवंशिक कारण (Non-classical Adrenal Hyperplasia) व थाइरायड की वजह से झड़ रहे बालों को रोकने में अश्वगंधा मदद कर सकता है (47)। अश्वगंधा बालों के मेलेनेन को भी बढ़ा सकता है, जिसकी वजह से बालों का रंग बना रहता है (48)।, कई बार स्ट्रेस और अच्छी नींद न आने की वजह से भी डैंड्रफ होने लगता है। दरअसल, ऐसा सेबोरेहिक (Seborrheic) डर्मेटाइटिस त्वचा विकार के दौरान हो सकता है। इसमें स्कैल्प में खुजली, लाल चकत्ते और डैंड्रफ होने लगता है (49)। ऐसे में अश्वगंधा में मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण लाभदायक हो सकता है। यह स्ट्रेस को खत्म करके डैंड्रफ दूर कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी सेबोरेहिक (Seborrheic) डर्मेटाइटिस को ठीक कर सकता है (2) (50)।, हर कोई चाहता है कि उनके बाल समय से पहले सफेद न हों। इस चाहत को अश्वगंधा से पूरा किया जा सकता है। यह आयुर्वेदिक औषधि बालों में मेलानिन के उत्पाद को बढ़ाती है। मेलेनिन एक प्रकार का पिगमेंट होता है, जो बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में मदद करता है (51) (48)।, अश्वगंधा खाने से क्या होता है, यह तो आप जान गए हैं। अब अश्वगंधा के पोषक तत्वों के बारे में जानें। इसके बाद अश्वगंधा को कैसे खाएं, इस पर चर्चा करेंगे।, अश्वगंधा के फायदे आप जान ही चुके हैं। अब अश्वगंधा पाउडर में मौजूद विभिन्न पोषक तत्वों में प्रति 100 ग्राम कितना मूल्य पाया जाता है, वो हम आपको नीचे टेबल के माध्यम से बता रहे हैं (52)।, अश्वगंधा के फायदे के बाद अश्वगंधा को कैसे खाएं, इस पर एक नजर डाल लेते हैं।, बाजार में आपको अश्वगंधा विभिन्न रूपों में मिल जाएगा, लेकिन सबसे ज्यादा यह पाउडर व चूर्ण के रूप में मिलता है। अश्वगंधा खाने का तरीका बहुत आसान है। शहद, पानी या फिर घी में मिलाकर अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, बाजार में या फिर ऑनलाइन अश्वगंधा चाय, अश्वगंधा कैप्सूल और अश्वगंधा का रस भी आसानी से मिल जाता है।, अगर अभी भी आपके जहन में सवाल उठ रहा है कि अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कैसे करें? 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